Navratri 2022 6th Day, Maa Katyayani Vrat Katha In Hindi: मां दुर्गा के पावन पर्व नवरात्रि के पांच दिन पूरे हो चुके है, और ऐसे में आज शनिवार को छठा नवरात्र है। छठा नवरात्र मां कात्यानी को समर्पित है। आज से अक्टूबर महीने की शुरुआत भी हो रही है, ऐसे में नवरात्रि का यह रंग और भी ज्यादा बढ़ गया है। जिसकी वजह यह है कि इस महीने में दीपावली और भाईदूज समेत कई त्योहार पड़ रहे है।
मां कात्यानी को समर्पित छठे नवरात्र पर मां दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा होती है। माता कात्यायनी चार भुजाधारी हैं, जिनमें इनके एक भुजा में शत्रुओं का अंत करने वाला तलवार है, तो दूसरी भुजा में पुष्प है। तीसरी भुजा अभय मुद्रा में है जो भक्तों को भय मुक्ति प्रदान कर रहा है। चौथी भुजा देवी का वर मुद्रा में है जो भक्तों को उनकी भक्ति का वरदान देने के लिए है।
पौराणिक कथा के अनुसार, माता ने यह रूप अपने भक्त कात्यायन के लिए धारण किया था। दरअसल, महर्षि कात्यायन मां नवदुर्गा के बहुत बड़े भक्त थे और इनकी यह इच्छा थी कि देवी उनकी पुत्री के रूप में उनके घर पधारें। जिसे लेकर उन्होंने कई वर्षों तक घोर तपस्या की। ऋषि की इस तपस्या से मां प्रसन्न हो गयी। जिसके बाद उन्होंने महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में उनके घर में जन्म लिया था। कात्यायन की पुत्री होने के कारण माता कात्यायनी कहलायीं।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन देवी दुर्गा ने ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लिया था। जिसके बाद इनकी सबसे पहले पूजा ऋषि कात्यान ने ही की थी। 3 दिनों तक मां दुर्गा का पूजन करने के बाद मां कात्यायनी ने ऋषि से विदा लिया और फिर माता ने महिषासुर को युद्ध में ललकारा। जिसका कारण यह था कि महिषासुर राक्षस का लगातार बढ़ता अत्याचार बढ़ता जा रहा था। ऐसे में मां कात्यायनी ने उसका वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी।
वहीं, जैसे-जैसे नवरात्रि के दिन बीतते जा रहे है, उसी क्रम में कन्या पूजन का दिन भी नजदीक आता जा रहा है। इन नौ दिनों तक बड़ी ही भक्ति और श्रद्धा भाव से अपने घर में मां की प्रतिमा को स्थापित कर अखंड ज्योत जलाए भक्तों के लिए कन्या पूजन का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अष्टमी/नवमी तिथि के दिन कन्याओं को भोजन कराने से भक्तों पर मां दुर्गा प्रसन्न होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी करती है।
नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों को कन्या के रूप में जिमाने के साथ यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि इन नौ कन्याओं के साथ ही 2 बालकों को भी जिमाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। ये दो बालक भगवान गणेश और भैरव बाबा के रूप में जिमाएं जाते है।
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