Sedition Law Updates: Supreme Court ने Sedition Law की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की रोक लगा दी है। जिसके अंतर्गत अब नए केस नहीं दर्ज हो सकेंगे।
यही नहीं, इसके अलावा अब लोग पुराने मामलों में भी Court में जाकर राहत की अपील कर सकते हैं। दरअसल, आपको बता दें कि सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल Tushar Mehta ने दलील दी थी कि इस कानून की समीक्षा होने तक इसके तहत नए केस दर्ज करने पर रोक लगाना ठीक नहीं होगा। हालांकि, Court ने Central Government की दलीलों को ठुकराते हुए कानून पर रोक लगाने का फैसला दिया।
कोर्ट ने एकतरफ इस कानून की समीक्षा करने को कहते हुए इसकी धारा 124A पर पुनः विचार करने की सलाह दी। जबकि दूसरी तरफ उसने समीक्षा किये जाने तक 124A के तहत नए केसों को दर्ज किये जाने पर रोक भी लगा दी।
आपको बता दें कि भारतीय कानून संहिता (आईपीसी) की धारा 124A के तहत लगने वाला यह कानून ब्रिटिश दौर के सबसे पुराने कानून में से एक है। इस कानून को किसी व्यक्ति के खिलाफ तब लगाया जाता है, जब देश का कोई नागरिक सरकार विरोधी या कानून विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है। इसके साथ ही उसका समर्थन करता है, तो वो राजद्रोह का अपराधी माना जाता है।
ख़ास बात तो यह है कि इस कानून के तहत तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान भी है। हालांकि, इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करता हुआ पाया जाता है या फिर संविधान के नियमों का पालन नहीं करते हुए उसके खिलाफ एक्शन लेता है तो उस पर भी राजद्रोह का केस दर्ज हो सकता है।